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Showing posts from January, 2019

रैली के साथ ममता की 'टी पार्टी', मोदी विरोधी नेताओं का लगेगा जमावड़ा

कोलकाता में 19 जनवरी को होने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महारैली को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के लिए एक मंच के रूप में देखा जा रहा है. इस रैली के बाद ममता विपक्षी पार्टियों के लिए 'टी पार्टी' का आयोजन भी करेंगी. गुरुवार को ममता ने कहा, 'बैठक के बाद विपक्षी नेताओं के लिए एक चाय पार्टी का आयोजन किया जाएगा. हम चाय पिएंगे और विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत करेंगे.' विपक्षी नेताओं के एकजुट करने में जुटीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करने के लिए कोलकाता में महारैली करने जा रही हैं. तृणमूल कांग्रेस की इस महारैली में लाखों लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है. यह रैली शहर के बीचों-बीच स्थित ब्रिगेड परेड में होने जा रही है. इस रैली के लिए सभी विपक्षी नेताओं को बुलाया गया है. बताया जा रहा है कि रैली के बाद होने वाली इस टी पार्टी में विपक्ष अपनी रणनीति तैयार करेगा. इस महारैली में मुख्यमंत्रियों- अरविंद केजरीवाल, एचडी कुमारस्वामी, एन चंद्रबाबू नायडू के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री ए

विपक्ष के साथ बैठक से अचानक उठे ट्रम्प, कहा- टोटल वेस्ट ऑफ टाइम

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उनकी विवादित अमेरिकी -मेक्सिको सीमा दीवार योजना के लिए 5.7 अरब डॉलर की राशि आवंटित करने से इनकार किए जाने के बाद शीर्ष डेमोक्रेटिक नेताओं नैंसी पेलोसी एवं चक शुमर के साथ बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए. इ ससे पहले ट्रम्प ने विपक्षी पार्टी के धन आवंटन के लिए राजी नहीं होने की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने की धमकी दी थी ताकि वह अवैध आव्रजकों को देश में आने से रोकने के लिए दीवार या अवरोधक बनाने की अपनी योजना को क्रियान्वित कर सकें. ट्रम्प ने प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी और सीनेट में अल्पमत के नेता चक शुमर से पूछा कि यदि आंशिक रूप से बंद पड़े सरकारी कामकाज को फिर से शुरू कर दिया जाए तो क्या वे आगामी 30 दिनों में सीमा दीवार के लिए राशि आवंटित किए जाने के कदम का समर्थन करेंगे. पेलोसी ने जब ‘नहीं’ में इसका जवाब दिया तो ट्रम्प नाराज हो गए. नाराज ट्रम्प ने ट्वीट किया, 'मैं चक और नैंसी के साथ बैठक बीच में छोड़कर आ गया. समय की पूरी बर्बादी थी. मैंने पूछा कि यदि हम कामकाज फिर से शुरू कर दें तो 30 दिन में क्या आप दीवार या स्टील अवरोधक

इकोनॉमी के लिए बताया गया था गेम चेंजर, चुनावी राजनीति ने किया गुड़ गोबर

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को भले देश की दूसरी आजादी का दर्जा मिला लेकिन इस आर्थिक सुधार को लागू करने के डेढ़ साल के अंदर इसका मकसद विफल होने की कगार पर है. जीएसटी की मौजूदा स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सफाई देते हुए कहा कि बड़े आर्थिक सुधारों की शुरुआत में खेद होता है लेकिन कोशिश कर इसे दूर किया जा सकता है. इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी का कहना है कि “जीएसटी का राजस्व‍ संग्रह लक्ष्य से मीलों दूर है और खजानों का हाल खस्ता है. अगर सरकार शुरू से ही दो टैक्स दरों वाला जीएसटी लेकर चली होती तो बात दूसरी थी लेकिन अब तो जटिलताओं का अंबार गढ़ा जा चुका है.” क्यों नहीं जुड़े छोटे कारोबारी प्रधानमंत्री ने दावा किया कि जीएसटी छोटे कारोबारियों के लिए चुनौती इसलिए लाया क्योंकि टैक्स का यह क्रांतीकारी ढांचा पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आधारित था. लिहाजा देश के असंगठित कारोबार के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना इतना आसान साबित नहीं हुआ. दरअसल केन्द्र सरकार ने जीएसटी लागू करने से पहले दावा किया था कि इस टैक्स सुधार के बाद केन्द्र सरकार को प